मास्टर प्लॉन 2035 के विरोध में कुमावत समाज ने दिया धरना
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १७ अगस्त ;अभी तक ; आज कुमावत समाज नरसिंहपुरा के द्वारा गांधी चौराहा पर लगभग 4 घण्टे तक धरना दिया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कुमावत समाज नरसिंहपुरा के सैकड़ों लोगों ने धरना प्रदर्शन किया और म.प्र. शासन से मांग की है कि प्रस्तावित 2035 के मास्टर प्लॉन में नरसिंहपुरा एवं उसके आसपास क्षेत्रों के किसानों की जो भूमि ग्रीन बेल्ट में रखी गई है उसे आवासीय में रखा जाये क्योंकि पूर्व में जो मास्टर प्लॉन आया था उसमें इस क्षेत्र की भूमि को आवासीय में रखा गया था लेकिन अब ऋषियानन्द नगर 500 क्वार्टर से लेकर बादरपुरा क्षेत्र तक कुमावत समाज एवं अन्य समाजों के लोगों की जो भूमि है उसे ग्रीन बेल्ट में रखा गया है। कुमावत समाज ने 2035 के मास्टर प्लान में कस्बा मंदसौर के सर्वे क्रमांक 1304, 1303, 1307, 1344, 311, 1338, 1335, 1364, 1378, 1396, 1315, 1317, 1381, 1382, 1392, 1388, 1605, 1601, 1595, 1513, 1511, 1520, 1642, 1621, 1657, 1678, 1683, 1647, 2653, 2617 की भूमि को जो पूर्व में आवासीय दशाई गई थी उसे पुनः आवासीय में रखा जाये। उक्त भूमियां मंदसौर नगर के मध्य में स्थित है तथा इन भूमियों के समीप ही महादेव नगर कॉलोनी को वैध कॉलोनी की मान्यता शासन से प्रदान की हुई है। उक्त सभी भूमियां आवासीय विकास के योग्य है तथा उक्त भूमि को ग्रीन बेल्ट में रखने से नगर का विकास भी अवरुद्ध हो सकता है।
इसी मांग को लेकर दिये गये 4 घण्टे के धरना प्रदर्शनको मंदसौर विधायक विपिन जैन, पूर्व विधायक यशपालसिंह सिसौदिया, पूर्व नपा उपाध्यक्ष सुनील जैन महाबली ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर समर्थन किया। इस धरना प्रदर्शन में कुमावत समाज अध्यक्ष राधेश्याम बरानिया, उपाध्यक्ष राजेन्द्र घोड़ेला, सचिव मोहनलाल माचीवार, कोषाध्यक्ष कारूलाल भमोलिया, पार्षद गोरर्धन कुमावत, पूर्व पार्षद भेरूलाल अन्यावड़ा, रमेश घोड़ेला, समाजसेवी मांगीलाल कुमावत, लोकेन्द्र कुमावत, कोमल कुमावत, लक्ष्मीनारायण टांक, रामनारायण जाजपुरा, नंदराम जाजपुरा, चांदमल टांक आदि भी शामिल हुए। धरना प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में मास्टर प्लान 2035 में आवश्यक संशोधन करने की मांग की गई। कुमावत समाज ने अवगत कराया कि यदि समाज की मांग नहीं मानी जायेगी तो कुमावत समाज चरणबद्ध आंदोलन के लिये विवश होगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।