प्रदेश

जिले के 37935 टू व्हीलर पर पैनल्टी के पौने दो अरब रुपए बकाया

महावीर अग्रवाल
मंदसौर २ अप्रैल ;अभी तक;  परिवहन विभाग के जिला कार्यालय में ऑनलाइन दर्ज 37 हजार 935 वाहन बड़ी परेशानी बने हुए हैं। प्रत्येक पर 15 साल से (साल 2008 से अब तक) हर माह 300 रुपए की पैनल्टी लग रही है। ये सभी ऐसे टूव्हीलर हैं जिनकी लाइफ टाइम टैक्स (15 साल वाली अवधि) सीमा खत्म हो चुकी है।
                                      इस मान से प्रत्येक टूव्हीलर पर बकाया राशि करीब 50 हजार रुपए तक हो रही है, ये भारी-भरकम पेनल्टी इनकी बाजार कीमत से कई गुना अधिक है। वाहनों में ज्यादातर फोर स्ट्रोक हैं जो अब भी चलन में हैं। कई लोगों ने समय के साथ इंजन मोडिफिकेशन तक कराया है। पैनल्टी राशि पौने 2 अरब रुपए तक पहुंच चुकी है।
                              ये स्थिति प्रदेश के अधिकतर जिलों की है, परिवहन विभाग का एक कड़ा नियम ये भी है कि बकाया टैक्स चुकाने के बाद ही वाहन मालिक ये वाहन किसी अन्य को बेच सकता है वरना नहीं। यही वजह है कि वाहन मालिक रजिस्ट्रेशन कार्ड रिन्यू कराने या नाम ट्रांसफर के लिए तक नहीं पहुंच रहे। डीटीओ के अनुसार रिन्यू ना कराने पर हम 300 रुपए प्रतिमाह पैनल्टी लगा रहे हैं, वन टाइम सेटलमेंट जैसी योजना निजी वाहनों में नहीं होती।
                           मंदसौर परिवहन विभाग कार्यालय के अनुसार साल 2000 से फरवरी 2023 के दौरान जिले में 2 लाख 75 हजार 536 टूव्हीलर रजिस्टर्ड हुए है जो केवल निजी प्रयोग में ही आते हैं। ये कैटेगरी उन टूव्हीलर की है जो कि फोर स्ट्रोक हैं, टू स्ट्रोक (पेट्रोल के साथ ऑइल) वाले वाहन तो अतिरिक्त हैं। विभाग के नियमों के अनुसार प्रत्येक वाहन को 15 साल के बाद रिन्यूअल (अगले 5 साल आगे बढ़ जाते) कराना अनिवार्य रहता है लेकिन कम ही लोग पहुंचते हैं।
                                    विभाग ने साल 2007-08 की स्थिति में लाइफ टाइम अवधि पूरी कर चुके रजिस्टर्ड वाहनों की डिटेल निकाली तो पता चला कि एेसे 37 हजार 935 वाहन हैं। यानी इन पर प्रतिमाह 300 रुपए और सालाना 3600 रुपए के मान से पैनल्टी लगाई जा रही है। 10 साल में आंकड़ा 36 हजार तक और 15 साल में 54 हजार रुपए तक पहुंच रहा है।
टैक्स अवधि खत्म होने पर हर माह लग रहा 300 रुपए जुर्माना, 15 साल से नहीं करा रहे हैं जमा
हजारों की पैनल्टी वाले दायरे में आने वाले निजी दोपहिया वाहनों पर परिवहन विभाग से किसी भी तरह की वन टाइम सेटलमेंट स्कीम नहीं है। ऐसे में जो लोग रिन्यूअल कराना चाहते हैं वे 50 हजार रुपए की भारी-भरकम राशि सुनकर पीछे हट जाते हैं और प्रतिमाह 300 की पैनल्टी निरंतर बढ़ रही। ऑटो डील संचालक परमानंद पालड़िया के मुताबिक 15 साल में तो हालात खासे बदल जाते हैं, यानी उस वक्त 40-45 हजार में खरीदा वाहन अब बमुश्किल 12 से 15 हजार तक का ही रहता है।
टैक्स बकाया ना होने पर ही सामने वाला खरीदता है। इधर नियमों से बचाव के लिए कई लोग आपस में वाहनों का सौदा शपथ-पत्र के जरिए कर देते हैं। हालांकि उसमें भी कीमत कम ही मिलती लेकिन पर्यावरण के मान से ये वाहन बीएस-6 नार्म्स से काफी पीछे होकर वायु व ध्वनि प्रदूषण काफी करते हैं।
शासन से मार्गदर्शन मांगेंगे
राज्य शासन ने अब तक टूव्हीलर को लेकर किसी भी तरह की स्क्रैप पॉलिसी जारी नहीं की है क्योंकि ये निजी उपयोग में ही आते हैं। 37 हजार 935 ऐसे वाहन हैं जो आरसी रिन्यूअल नहीं करा रहे हैं। प्रतिमाह 300 रुपए पैनल्टी का प्रावधान है जो निरंतर लगाई जा रही। ये सच है कि साल-दर-साल आंकड़ा भारी-भरकम हो जाता लेकिन इन केस में शासन से अब तक किसी तरह की वन टाइम सेटलमेंट योजना नहीं आई है। जिले में साल 2000 से 2023 फरवरी के दौरान 2 लाख 75 हजार 536 टूव्हीलर रजिस्टर्ड हुए हैं। जो वाहन मालिक समय पर आरसी रिन्यूअल कराते हैं वे भारी पैनल्टी से बच जाते हैं। बकाया राशि को लेकर शासन को डिटेल भेजकर मार्गदर्शन मांगेंगे ।
– रीना किराड़े, डीटीओ

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