अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर श्रम संगठनों का प्रदर्शन, नारेबाजी की
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २ मई ;अभी तक; अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर श्रम संगठनों ने गांधी चौराहा पर इकट्ठे होकर शिकागो में 1886 में शहीद हुए श्रमिकों के बलिदान को याद करते हुए श्रमिकों, श्रम संगठनों पर हो रहे हमलों पर आक्रोश व्यक्त किया।
वक्ताओं ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि 137 साल पहले 1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में 8 घंटे कार्य दिवस की मांग को लेकर हजारों मजदूरों ने लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उसके परिणाम स्वरुप ही मजदूरों ने 8 घंटे कार्य दिवस की मांग हासिल करने में सफलता प्राप्त की थी। उसके बाद हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाने का जो निर्णय लिया गया था उसे दुनिया भर के मजदूर, ’दुनिया के मजदूरों एक हो’ का नारा लगाते हुए, पूरी शिद्दत के साथ मनाते आ रहे हैं। इस दिन शिकागो के अमर शहीदों एवं उनके द्वारा किए गए संघर्षाे को याद किया जाता है। यह दिन ट्रेड यूनियनों के सामने आ रही वर्तमान एवं भविष्य की चुनौतियों से निपटने के कारगर उपाय तलाश करने एवं श्रमिक संगठनों की एकता को और अधिक मजबूत बनाने का दिन है।
देश में वर्तमान हालात ठीक नहीं है। कामगारों एवं ट्रेड यूनियनों पर हमले हो रहे हैं। संघर्षों से प्राप्त 44 श्रम कानून को समाप्त कर 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोडस) में इन्हें बदल दिया गया है। इन लेबर कोडस् के लागू होने से अधिकांश मजदूर कानूनी सुरक्षा प्रावधानों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। मालिकों/प्रबंधन को बेरोकटोक छटनी, ले – ऑफ़, क्लोजर व लॉकआउट करने का हक मिल जाएगा। जो कि कामगार एवं ट्रेड यूनियन विरोधी है। महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। सरकार निजीकरण के एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ा रही है और नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन पॉलिसी के माध्यम से करीब करीब सारी सार्वजनिक संपत्तियों को देसी विदेशी पूंजी पतियों को सौंपने की कोशिश में जुटी हुई है।
हम देख रहे हैं आक्रमण बहु स्तरीय हैं और यह हमले संपूर्ण ट्रेड यूनियनों पर हो रहे हैं । केंद्र सरकार जनविरोधी आर्थिक सुधारों, मजदूर विरोधी श्रम सुधारों,आम जनता विरोधी बैंकिंग सुधारों और किसान विरोधी भूमि सुधारों के एजेंडा को एक साथ आगे बढ़ा रही है। इसलिए हमें इन एजेंडा के खिलाफ केंद्रीय श्रमिक संगठनों, किसानों एवं अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा किए जा रहे आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेकर इन संघर्षों का हिस्सा बनना चाहिए। इन हमलों को संयुक्त आंदोलनों के माध्यम से ही रोका जा सकता है। बढ़ती हुई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए संघर्ष को तेज करना होगा । प्रदर्शन में सीटू, बैंक यूनियन, मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव यूनियन, एल आई सी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि ने भाग लिया ।
प्रदर्शन को गोपाल कृष्ण मोड़, सईद चौधरी, रमेश चंद जैन , दिनेश चंदवानी, राजेश सोनी , गजेंद्र तिवारी, मुन्नालाल चंदेल ,सुरेन्द्र संघवी ने सम्बोधित किया । प्रदर्शन में शिव राजेन्द्र शास्ता, सुनील जैन, उपेंद्र राय, आशीष जैन, महेश धनोतिया, संजय मेहता, मुकेश कुमावत, धीरेंद्र रैकवार, रमेश देवड़ा, हितेंद्र परमार, बालूसिंह, सहित कई श्रम संगठन के कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।