खंडवा के इस सरकारी स्कूल में होती है अब एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पढ़ाई

मयंक शर्मा

खंडवा १५ अक्टूबर ;अभी तक; मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राएं अब एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पढ़ाई करते हैं। सम्भवतः यह प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल है, जहां इस तरह से पढ़ाई की जा रही है।अक्सर देखा जाता है कि पढ़ाई के मामले में कोई भी अभिभावक प्राइवेट स्कूल को ही तरजीह देते हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश के खंडवा के एक सरकारी स्कूल ने इस मिथक को तोड़ने के लिए अपने यहां एक नवाचार किया है। यहां के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक स्कूल के छात्र-छात्राएं अब एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पढ़ाई करते हुए टेक्नोलॉजी के इस युग में प्राइवेट स्कूलों को भी पीछे छोड़ते हुए दिखाई देते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल है, जहां इस तरह से टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई की जा रही है।

एआई के जनक कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने इसे इजाद की थी। जेफ्री हिंटन ने इसके फायदे और नुक़सानों के बारे में भी खुलकर बताया है। ।प् यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधुनिक दुनियां में अब बड़े बदलाव ला रहा है। इसका एक बदलाव यह भी है कि अब इस तकनीक के जरिए स्कूली छात्र अपनी पढ़ाई आसानी से कर पा रहे हैं।

खंडवा जिले में  नवाचार को जन्म देने वाले स्कूल के प्राचार्य संजय निर्मभोरकर बताते हैं कि पिछले साल से उनकी स्कूल के कक्षा 8, 9 और 10 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक मुख्य विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है, जिसके चलते उनके मन में इस नवाचार को करने का प्लान आया। एक न्यूज चैनल पर एआई एंकर को देखकर मैंने अपने स्कूल के सॉफ्टवेयर से जुड़े टीचर से इस बारे में बात किया कि क्या हम भी इसकी तरह एक टीचर बना सकते हैं और उन्होंने इंटरनेट पर सर्च करके बताया कि हां हम एक ऐसा टीचर बना सकते हैं, जो न केवल पढ़ा सकता है। बल्कि बच्चों के सवालों के जवाब भी दे सकता है, जिसके बाद इस तरह का प्रोजेक्ट तैयार किया गया।

जिला शिक्षा  अधिकारी पीएस सोंलकी ने बताया कि खंडवा शहर के सूरजकुंड क्षेत्र ें का इस  सरकारी स्कूल इन दिनों चर्चा में है। यहां के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ने अपने यहां एक नवाचार करते हुए छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से पढ़ाना शुरू किया है।

उन्होने बताया कि नई शिक्षा नीति के चलते स्कूल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कोर्स शामिल किया गया है। बच्चे कोर्स में तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में पढ़ ही लेते हैं, लेकिन इस बात की अहमियत तब और बढ़ जाती है, जब स्कूल के किसी टीचर की सरकारी काम में ड्यूटी लग जाए या किसी कारण से वो स्कूल से छुट्टी पर चले जाएं। बस इसी जरूरत को महसूस कर यहां के प्राचार्य और शिक्षकों ने अपने स्कूल में एआई टीचर तैयार कर लिए। अब जिस विषय के शिक्षक को छुट्टी या सरकारी काम से जाना होता है तो वह एक दिन पहले एआई की मदद से कोर्स की तैयारी कर लेता है।

स्कूल की एआई टीचर श्रद्धा गुप्ता अपने यहां के इस नवाचार के बारे में बताती हैं कि इस आधुनिक तकनीक से पढ़ाई करने में छात्रों को भी बड़ा आनंद आता है। उनकी माने तो इस तकनीक को इसलिए तैयार किया गया था कि, जब स्कूल में टीचर नहीं हों तब इस तकनीक का उपयोग कर बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। इतना ही नहीं छात्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टीचर से अपनी पढ़ाई संबंधी सवालो के जवाब भी ले सकते हैं। वहीं, एआईकी मदद से पढ़ने वाले स्कूल के कक्षा सातवीं के छात्र-छात्राएं बताते हैं कि एआई उनकी स्कूल में मुख्य सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाया जाता है। एआई में थ्री डी वीडियोज आती हैं। हम उनको देखकर इससे विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और अन्य सभी विषयों का अध्ययन कर सकते हैं।
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0माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने स्कूल को ले रखा है गोद

स्कूल में एआई की एक वजह यह भी है कि इस स्कूल को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने गोद ले रखा है। यहां राज्य ओपन बोर्ड के सहयोग और माइक्रोसॉफ्ट की मदद से ही एआई सेे पढ़ाई संभव हो पाई है। क्लॉस में तो छात्र एआई  की मदद से पढ़ते ही हैं, इन छात्रों के लिए एक कम्प्यूटर लैब भी बनाई गई है। जहां छात्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम कर अपने प्रोजेक्ट भी तैयार करते हैं।ऐसा माना जाता है कि इस पृथ्वी पर इंसान ही सबसे बुद्धिमान प्राणी है, जिसकी बुद्धि से किसी भी टास्क को आसानी से पूरा किया जा सकता है।  आदिकाल से अब तक केवल मानव ही बुद्धिमान होने की इस परिभाषा में फिट बैठते रहे हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी के इस युग में अब केवल इंसान ही नहीं मशीन भी इंटेलिजेंट कहलाने लगी हैं, जिसको हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नाम से जानने लगे हैं। आसान शब्दों में कहें तो इंसान के काम को आसान बनाने के लिए मशीन को इंटेलिजेंट बनाया गया है। जब मशीन किसी इंसानी काम को इंसानों की तरह सोच-समझ कर करने लगे तो वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहलाती है।

साल 1950 में किसी मशीन को इसी परिभाषा के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस माना जाता था। समय के साथ एडवांस होती टेक्नोलॉजी के साथ मशीन को लेकर इस परिभाषा में भी कई बदलाव हुए हैं। एक्सपट्र्स का मानना है कि जब किसी परेशानी का समाधान खोजने, नए प्लान को लाने के साथ नए आइडिया को जेनरेट करने और चीजों में सुधार किया जा सके यह इंटेलिजेंस कहलाती है।