लावारिस मिली बालिका बनेगी यूएसए की महक

मयंक शर्मा

खंडवा ७ फरवरी ;अभी तक;   बालिका को गोद लेने की सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर उसे अपनी संतान बना लिया.. बालिका को देख  उनकी  खुशी का ठिकाना नहीं रहा।. उन्हें अब यकीन हो चला कि जल्द ही कुदरत ने उनके लिए जिंदगी में मुस्कुराने की वजह पैदा कर दी है.। बिना समय गंवाए सोमवार  को विदेशी दंपत्ति खंडवा  पहुचे ओर बालिका को गोद लेकर खुशी का इजहाल किया।

बिन मां बाप के बच्चे को माता पिता का साया मिल गया है.।अब वो अनाथ नहीं  कहलाएगी .15 हजार किलोमीटर दूर हवाईजहाज से उड़ान भरकर 24 घंटे में अमेरिका पहुंचेगी। तीन हजार वर्गमीटर में फैले बंगले में अब अनाथ रहकर पढ़ाई करेगी। , विदेशी दंपती का सपना है कि उनके परिवार का हिस्सा बनी बेटी बड़े होकर अमेरिका की बड़ी डॉक्टर बनें। विदेशी दंपती सरकारी नौकरी करता है।

बेटी को गोद लेने अमेरिका से दंपत्ति खंडवा पहुंचे । नगर के टपाल चाल स्थित किलकारी शिशु गृह में एडॉप्शन प्रक्रिया पूरी कर गोद भराई की रस्म की गई। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास अधिकारी वीपीएस राठौर, भाजपा संगठन मंत्री उज्जवल जोशी, सहज समागम फाउंडेशन की दीपमाला विधानी, सहित अन्य मौजूद थें।

महिला एवं बाल विकास अधिकारी वीपीएस राठौर ने बताया कि जन्म के प्रसव करने वाली मां कोई डेढ़ साल पहले नवजात को सड़क पर छोड़ गयी थी। उन्होने कहा कि गत 22 सितंबर 2022 को जेजे एक्ट के अंतर्गत फास्ट कोर्ट फैसले आधार पर  लावारिश बालिका को इंटर कंट्री अडाप्शन हो सका है। इसमें दोनों देशों के बीच की दत्तक एजेंसी का मेन रोल होता है। भारत की केंद्रीय एजेंसी को कारा और यूएसए की दत्तक एजेंसी को आफा कहते हैं। जो माता-पिता बच्चों को गोद लेना चाहते हैं आवेदन करते हैं।, ।दत्तक एजेंसी द्वारा उनके फार्म भरवाएं जाते हैं। वर्तमान में भारत में 15 हजार और मप्र में तीन हजार बच्चों की वेटिंग लिस्ट है।
ें उक्त बच्ची जब करीब पांच दिन की थी, तब उसे कोई जिला अस्पताल में छोड़कर चला गया था। एक माह की हुई तब हैंडओवर की गई थी। करीब एक साल किलकारी में रही। संचालक और केयर टेकर इन बच्चों की यशोदा मां बनी और इनकी देखभाल कर इन्हें पाल रही थीं।
कलियुग में जब अपने पराये बन रहे हैं, तो वहीं आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो पराये को अपना बना रहे हैं। यहां विदेशी जोड़े ने मानवता की शानदार मिसाल पेश की है. और एक परित्यक्ता बालिका को गोद लिया है
अमेरिका  से पहुंचे जोड़े ने अनाथ बालिका को गोद में लेकर ऐेसी ही मिसाल पेश की है।पंत्ति में महिलां अमेरिका में  वकील है  पिता पर्यटन विभाग  में पदस्थ है । . ये विदेशी जोड़ा की शादी को 14 साल हो गये थे. इसके बावजूद इनकी कोई संतान नहीं हुई.।  चिंता में निसंतान दंपति के र साल  बीत रहे थे।इस बीच जब उन्होने ं भारत सरकार के दिल्ली में स्थित
सेंट्रल अडॉप्शन प्रोसेस 2022 फास्टर कोड के नए नियमों के तहत बालिका  के लिए आवेदन तो  भारत सरकार के नियम अनुरूप सहमति मिली। इंटर कंट्री अडाप्शन में दोनों देशों के बीच की दत्तक एजेंसी का मेन रोल होता है। भारत की केंद्रीय एजेंसी को कारा और यूएसए की दत्तक एजेंसी को आफा कहते हैं। जो माता-पिता बच्चों को गोद लेना चाहते हैं, दत्तक एजेंसी द्वारा उनके फार्म भरवाएं जाते हैं। वर्तमान में भारत में 15 हजार और मप्र में तीन हजार बच्चों की वेटिंग लिस्ट है।

महिला बाल विकास अधिकारी ने कहा कि इसी के तहत इंटर कंट्री एडॉप्शन का कार्य यहा पूरा हो गया। सहज समागम एडॉप्शन एजेंसी के माध्यम से किलकारी शिशु गृह में पल रही बालिका को गोद भराई की रस्म पूरी कर एनआरआइ  यूएसए के दंपती को डेढ साल की बालिका को सौप दिया गया,ं।