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जिले में इन दिनों जंगल मशरूम ;बांस पिहरी ; की भरपूर आवक, कीमत 400 से 500 रुपये प्रति किलो

आनंद ताम्रकार

बालाघाट २६ अगस्त ;अभी तक ;  जिले में इन दिनों जंगल मशरूम जिसे आम बोलचाल की भाषा में बांस पिहरी कहा जाता है की भरपूर आवक हो रही है। हर गांव और शहर में जगह जगह इसकी बिक्री के करने के लिये दूर दूर से आदिवासी आते है। इसके माध्यम से उन्हें रोजगार भी सुलभ हो रहा है।

                     बांस पिहरी का स्वाद इतना लाजवाब है की इसको खरीदने के लिये लोग तत्पर रहते है इसकी कीमत इन दिनों 400 से 500 रुपये प्रति किलो पर बेची जा रही है। इतनी महंगी सब्जी होने के बाद लोग इसे खरीद रहे है यह सब्जी ही नहीं औषधीय गुणों से भरपूर है।

                    यह पूरी तरह प्राकृतिक उत्पाद है जो बांस के झूरठ में पैदा होती है इसमें प्रोटीन,मल्टी विटामिन और मिनरल्स पाये जाते है यह केवल बारिश के मौसम में बांस के जंगलों में पाई जाती है। इसका संग्रह करने के लिए जंगलों के पास रहने वाले आदिवासी अलसुबह ही जंगल पहुंचकर इसे एकत्रित कर बेचने के लिए निकल पड़ते है।
इसकी मांग केवल जिले तक ही नहीं सीमावर्ती महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ तक है।

बरसात के मौसम में जब आदिवासियों के लिये कोई रोजगार सुलभ नहीं होता तब वे इस मशरूम की प्रजाति को बेचकर अपनी जीविका चलते है इसे कुछ लोग सुखाकर भी रख लेते है जो बाद में उपयोग में लाया जाता है। यह पूर्णतः शाकाहारी सब्जी है लेकिन जो मांसाहार का सेवन करते है उनके लिये यह मांस जैसा प्राकृतिक विकल्प है। इसकी अनेक किस्में पाई जाती है और उनकी भारी मांग रहती है।

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