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IPL 2024 सीरीज, पार्ट-3:लीग आने से बढ़ी टी-20 की रफ्तार; 80% टेस्ट के रिजल्ट निकले, वनडे में लगीं 12 डबल सेंचुरी

वनडे क्रिकेट के शुरुआती 37 साल में 31 बार 350 से ज्यादा का स्कोर बना था। पिछले 17 साल में इससे 4.6 गुना ज्यादा 145 बार 350 प्लस का स्कोर बन चुका है। यह पॉसिबल हुआ क्योंकि 17 साल पहले 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत हो गई। इस लीग ने बल्लेबाजों का स्कोरिंग रेट तेजी से बढ़ाया।

IPL के बाद ही मेंस वनडे में पहली डबल सेंचुरी लगी, जिसका आंकड़ा अब 12 तक पहुंच चुका है। टी-20 टीमें 16 से बढ़कर 103 हो गईं। वहीं टेस्ट फॉर्मेट इंटरेस्टिंग हुआ, टीमें ड्रॉ की बजाय रिजल्ट पर फोकस करने लगीं, जिस कारण 80% मुकाबलों के नतीजे आ रहे हैं।

IPL 2024 सीरीज के पार्ट-3 में आज हम वनडे, टेस्ट और टी-20 फॉर्मेट पर IPL का इम्पैक्ट जानेंगे। इसे हम 4 पार्ट्स में देखेंगे, पहला मैचों की संख्या, दूसरा स्कोरिंग रेट, तीसरा बैटर्स और चौथा बॉलर्स पर इम्पैक्ट।

1. टी-20 फॉर्मेट पर IPL का प्रभाव

पार्ट-1: साल के मैच 33 से बढ़कर 280 हुए
17 फरवरी 2005 को टी-20 इंटरनेशनल की शुरुआत हुई, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने पहला मैच खेला। 2 साल बाद इस फॉर्मेट का वर्ल्ड कप खेला गया, जिसे महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने जीता। अगले ही साल भारत में क्रिकेट का पहला फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) शुरू हो गया। जिसने क्रिकेट की डेफिनेशन ही चेंज कर दी।

2010 तक 6 साल में टी-20 इंटरनेशनल खेलने वाले देश 17 थे। एक साल में औसतन 33 मैच होते थे और टीमें 6 साल में औसतन 12 ही मैच खेलती थीं। अगले 6 साल में सालान औसतन मैच बढ़कर 63 हुए और टीमों की संख्या 21 हो गई। लेकिन असली बदलाव 2017 से हुआ। तब से टी-20 खेलने वाली टीमें 5 गुना बढ़कर 103 हो चुकी हैं। साल के औसतन मैचों का आंकड़ा भी 280 तक पहुंच गया है।

नेपाल, मंगोलिया, जर्सी जैसे दुनिया के कई छोटे-छोटे देशों ने टी-20 फॉर्मेट से क्रिकेट खेलने की शुरुआत कर दी। क्रिकेट इस फॉर्मेट से ग्लोबल स्पोर्ट बनता जा रह है और अब 2028 के ओलिंपिक्स में भी शामिल हो गया। 2024 का टी-20 वर्ल्ड कप भी वेस्टइंडीज के साथ अमेरिका जैसे देश की मेजबानी में खेला जाएगा। जहां रग्बी, बास्केटबॉल और बेसबॉल जैसे खेलों का बोलबाला है।

पार्ट-2: 200+ रन के टारगेट आसानी से चेज हुए
IPL ने टी-20 क्रिकेट का स्कोरिंग रेट भी बढ़ाया। 2010 तक जहां 19 बार 200 प्लस का स्कोर बना और महज 2 बार 200 से ज्यादा का टारगेट चेज करने वाली टीमों को जीत मिली। पिछले 7 साल में 243 बार 200 प्लस का स्कोर बन चुका है। इतना ही नहीं 42 बार दूसरी पारी में 200 से ज्यादा रन बने, जिनमें से 59% मुकाबलों में टीम को जीत भी मिली।

एक समय 50 ओवर के क्रिकेट में 300 रन बनाना बड़ी बात थी, लेकिन अब तो 20 ओवर में ही 300 रन का आंकड़ा पार हो चुका है। 2023 के एशियन गेम्स में नेपाल ने मंगोलिया के खिलाफ 314 रन का स्कोर बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इतना स्कोर वनडे और टेस्ट फॉर्मेट में भी मुश्किल से बनता है।

पार्ट-3: शुरुआती 12 साल में 19 सेंचुरी लगी, पिछले 7 साल में बन गईं 124
2005 से 2016 तक 12 साल में टी-20 फॉर्मेट में 19 इंटरनेशनल सेंचुरी लगीं। तब शतक बनाना भी बड़ी होती थी, लेकिन पिछले 7 साल में इस फॉर्मेट में 124 सेंचुरी लग चुकी हैं। ग्लेन मैक्सवेल और रोहित शर्मा के नाम तो 5-5 शतक हैं, वहीं ICC के नंबर-1 टी-20 बैटर भारत के सूर्यकुमार यादव तो पिछले 3 ही साल में 4 सेंचुरी लगा चुके हैं।

IPL के पहले ही मैच में कोलकाता के लिए ब्रेंडन मैक्कुलम ने 158 रन की पारी खेली थी। जिसने फटाफट क्रिकेट में बड़ी पारी खेलने की नींव रखी। तब से टी-20 इंटरनेशनल में 3 बार 150 से ज्यादा और 17 बार 125 रन से ज्यादा के इंडिविजुअल स्कोर बन चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के ऐरन फिंच के नाम 172 रन की पारी खेलने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है।

पार्ट-4: गेंदबाजों को ज्यादा विकेट मिलने लगे
टी-20 क्रिकेट में गेंदबाजों का इकोनॉमी रेट 7 से साढ़े 7 के बीच बना हुआ है। लेकिन हर 6 साल के अंतर में बॉलर्स के औसत विकेट का आंकड़ा बढ़ गया। 2010 तक एक बॉलर को औसतन 4 विकेट मिले थे। वहीं पिछले 7 साल में एक खिलाड़ी के औसत विकेट का आंकड़ा 7 तक पहुंच गया। जिनमें स्पिन और पेस बॉलर के नाम औसतन 9-9 विकेट मिले हैं।

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