कालिदास साहित्य में पंचमहाभूत कालिदास समारोह उज्जैन में डॉ वीणा सिंह द्वारा शोध पत्र प्रस्तुति
महावीर अग्रवाल
मंदसौर १४ नवंबर ;अभी तक ; 66 वे अखिल भारतीय कालिदास समारोह में राष्ट्रीय संगोष्ठी में पी एम एक्सीलेंस राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर की अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ वीणा सिंह ने शोध पत्र वाचन किया। डॉ सिंह के शोध पत्र का विषय पंचमहाभूत इन महाकवि कालिदास, रिविजिटिंग मेघदूत एंड अभिज्ञान शकुंतलम विथ अ ग्रीन आई था।
अपने शोध पत्र के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ सिंह ने हमें बताया कि कालिदास द्वारा रचित मेघदूत और अभिज्ञान शाकुंतलम में पांच तत्वों का समावेश किस प्रकार से किया गया है। धरती, अग्नि, जलवायु और आकाश तत्व किस प्रकार से मानवीय चरित्रों के साथ में जोड़कर प्रस्तुत किए गए हैं एवं बताया गया है कि जीवन पांच तत्वों के बिना अपूर्ण है एवं मनुष्य को पांच तत्वों के साथ एकाकार होकर ही जीवन जीना चाहिए। कालिदास साहित्य के विभिन्न चरित्र इन्हीं पांच तत्वों एवं प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीवन का एक सुंदर स्वरूप हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं और इस बात की ओर संकेत करते हैं कि पांच आधारभूत तत्वों के बिना मानव जीवन अपने पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता है।
टैगोर एवं शेक्सपियर के साहित्य पर भी कालिदास साहित्य के प्रभाव पर शोध पत्र में विस्तार से चर्चा की गई है। शोध पत्र में यह भी बताया गया है कि इंटरनेट पर शेक्सपियर एवं कालिदास तथा शेक्सपियर एवं टैगोर के बीच में तुलना करते हुए बहुत सारे शोध पत्र हैं परंतु वास्तविकता यह है कि कवि कुलगुरू कालिदास, जिन्हें संस्कृत साहित्य का राजकुमार भी कहा जाता है, उनका प्रभाव शेक्सपियर के वाक्य विन्यास, प्रकृति वर्णन एवं अलौकिक शक्तियों के वर्णन में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है खास तौर से द टेंपेस्ट एवं द विंटर्स टेल में ।
इसी प्रकार से रविंद्र नाथ टैगोर के नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत महाकाव्य गीतांजलि पर भी विषय वस्तु के चयन को लेकर प्रकृति, प्रेम ,मृत्यु ,समर्पण आदि के वर्णन में कालिदास साहित्य का प्रभाव देखने को मिलता हैं ।इस प्रकार से महाकवि कालिदास का साहित्य अजर, अमर एवं कालजयी है ।डॉ सिंह की उपलब्धि पर महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष महोदय श्री नरेश जी चंदवानी, प्राचार्य डॉ डी सी गुप्ता एवं विभागीय साथियों ने शुभकामनाएं व्यक्त की हैं।