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केशव स्मारक समिति द्वारा हुआ व्याख्यान माला का आयोजन

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर १७ फरवरी ;अभी तक;  श्री केशव स्मारक व्याख्यान माला समिति मंदसौर के तत्वावधान में स्थानीय कुशाभाऊ ठाकरे सभाकक्ष में दो दिवसीय व्याख्यानमाला आयोजित किया जा रहा है जिसमे प्रथम दिवस ‘‘भारतीय संस्कृति का विश्व संचार’’ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्री बलिराम पटेल रहे। अध्यक्षता डॉ. विजय शंकर मिश्र ने की। समिति अध्यक्ष श्री दशरथ सिंह झाला भी मंचासीन रहे।
                                        अपने व्याख्यान में मुख्य वक्ता बलिराम पटेल ने विश्व के अनेक देशों में भारतीय संस्कृति किन-किन रूप में विद्यमान है, उस पर अपना प्रभावी व्याख्यान दिया। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति  है। भारत को विश्व की सभी कलाकृतियों की जननी माना जाता है जिसमें अनेक कलाएं, साहित्य एवं आध्यात्मिक  विकास हो या तकनीकी क्षेत्र का विकास हो या फिर राजनीति, सामाजिक विकास और चिकित्सकीय विकास ही क्यों न हो, इन सभी क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति का सदैव एक महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय संस्कृति आज भी अपने वैश्वीकरण पुरातन अनुभव के साथ अजर-अमर बनी हुई । विभिन्न जातियां, जीवन पद्धतियां, परंपराएं और सामाजिक संस्कृतियों के बावजूद भी यहां का जीवन-दर्शन ऐसा है कि, भारत की सीमाओं से बाहर रहने वाले लोग जीवन में एक बार यहाँ आने के ख्वाहिश रखते हैं। विदेश में कुछ लोग तो ऐसे मिल जाते हैं जैसे उनका भारत से कोई पूर्व जन्म का  नाता हो।
                                         श्री पटेल ने कहा कि सर्वे भवंतु सुखिनः, कृण्वंतो विश्वम् आर्यम् , एवं वसुधैव कुटुंबकम की  हमारी भावना ही भारतीय संस्कृति का मूल आधार है और यही कारण है कि अनेक आक्रमणकारी जातियों को हमने अपने में समाहित कर लिया और एक दिन ऐसा आएगा जो हमारी संस्कृति,  हमारी परंपराओं के विरोधी हैं, वह भी भारतीय संस्कृति तथा सनातन धर्म को अंगीकार करेंगे।
                                     श्री पटेल ने कहा कि विश्व के अन्य सभी देशों से हमारी भारतीय संस्कृति अति प्राचीन हैं अनेक प्रमाण हैं जो यह बात सिद्ध करते हैं।   भारत को महाशक्ति यानि विश्वगुरु बनने में अवरोध उत्पन्न करने वाले, देश को स्वाभिमान शून्य करने वालो ने  देश को हीनता की ग्रंथि में धकेल दिया।  अंग्रजी शिक्षा पद्धति में भारत को ही, भारत में नहीं पढ़ाया गया। आपने कहा कि विश्व की प्राचीनतम संस्कृति भारत की है जो नर से नारायण बनाती है जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर है ऐसे अनेक उदाहरण हमारे पास हैं। हमारी संस्कृति मृत्युंजय है अजेय है। विश्व में केवल भारत ही है जिसने अपनी धरती को मां का सम्मान दिया इसे मां माना।
                                         श्री पटेल ने कहा कि हमारी संस्कृति  व्यवस्था की संस्कृति है परिवार व्यवस्था केवल भारत में ही है।हमारी संस्कृति में वर्ण व्यवस्था है जिससे किसी को आपत्ति नहीं है, किन्तु अंग्रेजों ने इसे जातियों में बांटा। आपने कहा कि हमारी मानसिकता कभी साम्राज्यवादी नहीं रही किसी को मिटाने की नहीं रही। वसुधेव कुटुंबकम के भाव से हमने प्रत्येक मनुष्य के कल्याण की भावना रखी मानव मात्र आर्य बनें यानी श्रेष्ठ बनें। यही भावना हमारी रही है।  इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम गीत के साथ हुआ।

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