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राजनीतिक लाभ के लिए पटवारी चयन प्रक्रिया लगाई गयी रोक, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

सिद्धार्थ पांडेय
जबलपुर ३१ जुलाई ;अभी तक;  पटवारी चयन प्रक्रिया निरस्त किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक लाभ के कारण प्रक्रिया को निरस्त किया गया है। याकिचा की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भटटी ने अनावेदकों से जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की गयी है।
                           याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी प्रयागराज दुबे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पटवारी चयन परीक्षा में षामिल हुआ है और ईडब्ल्यूएस वर्ग का अभ्यार्थी था। उसे परीक्षा में 88.86 अंक प्राप्त हुए थे उसे चयन का पूरा भरोसा था। प्रदेष के मुख्यमंत्री ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए पटवारी चयन प्रक्रिया की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। मुख्यमंत्री ने स्वंय इस बात को स्वीकार किया है कि गडबडी सिर्फ एक केन्द्र में हुई है। एक केंद्र में गडबडी के कारण पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाना अवैधानिक है।
                          याकिचाकर्ता की तरफ से  अधिवक्ता आदित्य सांघी की दलीलों के अनुसार परीक्षा का आयोजन करने वाल मप्र कर्मचारी चयर बोर्ड कानून के अनुसार एक स्वतंत्र संस्था है। केवल संदेह और कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं होने के आधार पर रोक लगाने या हस्तक्षेप करने का कानून के तहत मुख्यमंत्री को कोई अधिकार नहीं है। मप्र में पहले से ही बेरोजगारी चरम पर है और सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए गरीब छात्रों के करियर से खिलवाड़ किया जा रहा है। केवल परीक्षा आयोजित करने वाली परीक्षा संस्था का अध्यक्ष ही परीक्षा रोक सकता है या रद्द कर सकता है। मप्र के लाखों छात्रों को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है। याचिका में सामान्य प्रषासन विभाग में प्रमुख सचिव तथा मप्र कर्मचारी परीक्षा बोर्ड को अनावेदक बनाया गया था। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को जवाब प्रस्तुत करने निर्देष जारी किये है।

 

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